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कृषि प्रौद्योगिकी

फसल की कटाई के आधुनिक यंत्र

फसल की कटाई के आधुनिक यंत्र

जैसे जैसे किसान की खेती की जोत छोटी होती जा रही है उसी तरह से आजकल नए नए कृषि यन्त्र भी बाजार में आ रहे हैं. अभी रबी की फसल खेतों में शान से लहलहा रही है, किसान अपनी फसल के रंग और आकार को देख कर ही फसल के उत्पादन का अंदाज लगा लेता है. 

अभी किसान की रबी की फसल की कटाई मार्च से शुरू हो जाएगी और जैसा की सभी की फसल की कटाई इसी समय होती है तो जाहिर सी बात है मजदूरों की कमी किसान को होती है. 

कहते हैं न कि "आवश्यकता अविष्कार कि जननी है" तो किसानों कि इसी आवश्यकता को पूरा करने के लिए हमारे कृषि वैज्ञानिक रात दिन मेहनत कर रहे हैं. 

जब किसान अपने पूरे खेत कि जुताई बुबाई बैलों से नहीं कर पाता था तो ट्रेक्टर आया और जब खेत में फसल की कटाई समय से नहीं हो रही थी तो उसके लिए फसल कटाई के लिए मशीन भी बाजार में आ गई. आज हम इन्हीं मशीनों के बारे में चर्चा करेंगें:

रीपर बाइंडर (Reaper Binder):

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रीपर बाइंडर मशीन इंजन द्वारा चलती है और इसको चलाना भी आसान होता है. इससे किसान कम डीजल खर्चा में ज्यादा काम कर सकता है तथा इससे उसको भूसा भी पूरा मिल जाता है तथा किसान को फसल को इकठ्ठा करने में भी दिक्कत नहीं होती है क्यों की इसको रीपर काटने के साथ साथ उसकी पूरै भी बना देती है. 

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इससे किसानों को मजदूरों की समस्या से कुछ हद तक छुटकारा मिल जाता है. आजकल खेती में कुशल मजदूरों की बहुत ही समस्या है. 

कई बार किसान की पाकी हुई फसल मजदूर न मिलने की वजह से काफी नुकसान होता है. इस नुकसान से बचने के लिए ये छोटी कटाई मशीन बहुत ही काम की मशीन है.

हाथ का रीपर:

हाथ से काटने वाला रीपर भी आता है लेकिन वो फसल के पूरै नहीं बनता है वो एक साइड में कटी हुई फसल को डालता जाता है. बाद में उसे मजदूरों की सहायता से पूरै बना दिया जाता है. 

कंबाइन हार्वेस्टर मशीन: यह मशीन बहुत महँगी होती है तथा ये बड़े किसानों के लिए उपयोगी है. छोटे किसान इसको किराये पर लेकर भी अपनी फसल की कटाई करा सकते हैं. 

इससे कम समय में ज्यादा काम किया जा सकता है. ये फसल को ज्यादा ऊपर से काटती है जिससे बाद में इसके तूरे से भूसा बनाया जा सकता है. 

इसमें किसान अपनी फसल को समय से लाकर बाजार में ले जा सकता है. इसमें कम समय में किसान की फसल भूसे से अलग हो जाती है. कंबाइन हार्वेस्टर मशीन की ज्यादा जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें.

स्ट्रा-रीपर (Straw Reaper) या भूसा बनाने वाली मशीन:

स्ट्रा-रीपर या आप कह सकते हैं की भूसा बनाने वाली मशीन छोटे और बड़े दोनों किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. जो किसान कंबाइन हार्वेस्टर मशीन से खेत को भूसा न बनने की वजह से कटवाने से डरते थे अब वो भी कंबाइन हार्वेस्टर से अपनी फसल कटवाने लगे हैं. 

क्यों की अब स्ट्रा-रीपर से भूसा बनाना आसान हो गया है. चूँकि किसान पशु भी पालते हैं और इसके लिए उन्हें भूसा भी चाहिए. तो भूसा की जरूरत रखने वाले किसानों के लिये तो हाथ से फसल कटवाना मजबूरी भी थी लेकिन जो किसान पशु नहीं पालते हैं,  वो कंबाइन मशीन से फसल कटवाने के इच्छुक भी थे लेकिन वो परेशान भी भी कम नहीं थे. 

क्योंकि कम्बाइन मशीन 30 से 35 सेंटीमीटर ऊपर से ही गेहूं की बालियों को काटती है इसलिए मशीन से कटवाने पर अनाज के नुकसान होने का खतरा रहता है. कम्बाइन मशीन नीचे गिरी हुई बालियों को उठा नहीं पाती है. 

ऐसे में भूसा बनाने वाली मशीन लोगों के लिये वरदान साबित हो रही है. इससे फसल कटवाने पर किसानों कई प्रकार का फायदा होता है. 

पहली बात तो ये कि उन्हें गेहूं के दानों के साथ साथ भूसा भी मिल जाता है. इससे पशुओं के लिये चारे की समस्या खड़ी नहीं होती. 

दूसरा जो दाना मशीन से खेत में रह जाता है उसको ये मशीन उठा लेती है. जिसको की किसान अपने पशु के दाने के रूप में प्रयोग कर लेता है क्योंकि इसमें मिटटी आने की सम्भावना रहती है.

कटर थ्रेसर (Cutter Thresher):

अगर हम कटर थ्रेसर की बात करें तो इसने भी किसानों की जिंदगी बहुत आसान कर दी है. जब किसान हाथ से फसल कटवाते थे तो अनाज को अलग करने के लिए फसल की मिडाई करने के लिए बैल या ट्रेक्टर चला के अनाज को अलग किया जाता था. 

उसके बाद थ्रेसर से करने लगे. 40 क्विंटल अनाज निकालने में 15 घंटे का समय लग जाता था जो की एक बड़े किसान के लिए बहुत ही मेहनत का काम था. 

उसके बाद कटर थ्रेसर आया जो की बहुत ही जल्दी अनाज और भूसा अलग कर देता है. आज के समय में कटर थ्रेसर बहुत ही उपयोगी मशीनरी बनी हुई है। 

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चारा काटने की मशीन:

पशुपालन और खेती दोनों एक दूसरे के पूरक हैं. किसान खेती के साथ साथ पशु पालन भी करता है. खेती से उसके पशुओं का चारा भी आ जाता है और उसके लिए पैसे कमाने का दूसरा जरिया भी बन जाता है. 

पुराने समय में चारा काटने के लिए किसान को बहुत मेहनत करनी पड़ती थी. कम से कम 3  आदमी चारा काटने की मशीन को चलाने के लिए चाहिए होते थे. 

लेकिन अब किसान ने भी इसका समाधान ढूंढ लिया और आज एक ही आदमी 10 - 15 पशुओं का चारा काट देता है वो भी 10 से 15 मिनट में.

चारा काटने की मशीन कैसे काम करती है:

चारा काटने की मशीन को दो आदमी उसके चक्र को हत्था के द्वारा घुमाते हैं तथा एक उसमें चारा डालने का काम करता है. यह बहुत ही मेहनत वाला काम है. इसमें किसान को बहुत समय लगता था और मेहनत भी बहुत होती थी.

इंजन से चलाने वाली मशीन:

इस मशीन को इंजन या बिजली से भी चलाया जा सकता है. इससे सिर्फ एक आदमी की आवश्यकता होती है वही आदमी अकेला ४ आदमी के बराबर काम कर लेता है. 

नीचे दिए वीडियो में देखें अंत में  हम कह सकते हैं की "Technology is a great servant, but a bad master." मशीनीकरण को हम अपने भले के लिए प्रयोग करें तो अच्छा है अन्यथा इसके दुष्परिणाम भी हम को ही झेलने पड़ते हैं.

जैसे की खड़ी फसल को कटवाने के अपने फायदे है तो कुछ नुकसान भी हैं. अगर हम फसल के अवशेष का भूसा बनवा लेते हैं तो ये हमारे लिए लाभदायक है और अगर हम इसके अवशेषों को जलाते हैं तो ये प्रक्रिया हमारी बहुत ही उपजाऊ जमीन को भी बंजर बनाने में बहुत ज्यादा समय नहीं लेती है. 

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KITS वारंगल ने विकसित किया स्वचालित ट्रैक्टर, लागत और मेहनत करेगा कम

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आज के आधुनिक और मशीनीकरण युग में नित नए अविष्कार हो रहे हैं। सभी क्षेत्रों में अच्छे खासे बदलाव देखने को मिल रहे हैं। इसी कड़ी में KITS वारंगल द्वारा स्वचालित ट्रेक्टर विकसित किया है, जिसका फिलहाल चौथा ट्राइल भी सफलता पूर्वक तरीके से संपन्न हो गया है। बतादें, कि यह ट्रेक्टर लागत प्रभावी है, जो आधुनिक तरीके से किसानों की आमदनी को बढ़ाएगा। आधुनिक तकनीकों एवं मशीनों द्वारा तकरीबन हर क्षेत्र में क्रांति का उद्घोष हो चुका है। महीनों तक विलंबित पड़े कार्य फिलहाल चंद मिनटों में पूर्ण हो जाते हैं। खेती-किसानी के कार्यों को भी सुगम एवं सुविधाजनक करने हेतु बहुत सारे यंत्र, टूल्स एवं वाहन तैयार किए जा रहे हैं। जो कि लागत को प्रभावी होने के साथ-साथ किसानों की आमदनी को दोगुना करने में सहायक हैं। इसी ओर काकतीय इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस, वारंगल (KITS-W) ने किसानों के लिए एक ड्राइवरलैस ऑटोमैटिक ट्रैक्टर तैयार किया है, जिसका चौथा ट्राइल भी सफलतापूर्ण ढंग से संपन्न हो चुका है।

इस स्वचालित ट्रैक्टर की क्या-क्या विशेषताएं हैं

KITS, वारंगल के कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग (CSE) के प्रोफेसर डॉ. पी निरंजन ने बताया है, कि ड्राइवरलैस स्वचालित ट्रैक्टर के लिए 41 लाख रुपये की परियोजना राशि मुहैय्या कराई गई थी। इसी कड़ी में इस ट्रेक्टर की विशेषताओं को लेकर इस प्रोजेक्ट के हैड अन्वेषक एमडी शरफुद्दीन वसीम ने जानकारी दी है, कि यह स्वचालित ट्रैक्टर किसानों को सुविधाजनक तरीके से खेतों की जुताई करने में सहायता करेगा। उन्होंने कहा है, कि यह लागत प्रभावी ट्रेक्टर खेती में किसानों की लागत के साथ-साथ समय की भी बचत होगी। साथ ही, किसानों की आमदनी को अधिक करने में भी सहायक भूमिका निभाएगी। ये भी पढ़े: भारत में लॉन्च हुए ये 7 दमदार नए ट्रैक्टर विशेषज्ञों के कहने के मुताबिक, इस स्वचालित ट्रैक्टर को विकसित करने का प्रमुख लक्ष्य खेती में मानव परिश्रम को कम करना है। इस ट्रैक्टर को बिल्कुल उसी प्रकार डिजाइन किया गया है। किसान भाई एक रिमोट द्वारा नियंत्रित उपकरण से इस ट्रैक्टर का सफल संचालन कर कृषि कार्य कर सकते हैं।

इस तरह संचालित होगा यह ट्रैक्टर

सीएसई के प्रोफेसर निरंजन रेड्डी का कहना है, कि स्वचालित ऑटोमैटिक ट्रेक्टर को कंप्यूटर गेम की भांति ही एक एंड्रॉइड एप्लीकेशन की सहायता से संचालित कर सकते हैं। इस स्वचलित ट्रेक्टर में लाइफ फील्ड से डेटा एकत्रित करने हेतु विशेषज्ञों ने सेंसर भी स्थापित किए हैं, जो कि किसी जगह विशेष पर कार्य करने हेतु तापमान एवं मृदा की नमी का भी पता करने में सहायता करेंगे। इससे मृदा की खामियों के विषय में भी जाँच करके डेटा एकत्रित करने में भी सुगमता रहेगी।
इस राज्य सरकार ने आल इन वन तरह का कृषि ऐप जारी कर किसानों का किया फायदा

इस राज्य सरकार ने आल इन वन तरह का कृषि ऐप जारी कर किसानों का किया फायदा

आधुनिक युग में कई सकारात्मक बदलाव देखने को मिल रहे हैं। कृषि योजनाओं की जानकारी प्राप्त करने अथवा आवेदन के लिए किसान भाईयों को ई-मित्र केंद्र अथवा कृषि विभाग के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। क्योंकि, राजस्थान में खेती-किसानी करने वालों के लिए राज किसान एप पर ऐसी विभिन्न सुविधाएं मुहैय्या कराई गई हैं। सीधी सी बात है, अगर कृषि क्षेत्र की प्रगति एवं विकास-विस्तार होगा तो किसान भी की उन्नत और खुशहाल होंगे। सरकार इसको बरकरार रखने के लिए किसानों की निरंतर रूप से हर संभव सहायता करती है। इसलिए किसानों के हित में विभिन्न कृषि योजनाएं भी चलाई जाती हैं, जिसके माध्यम से बीमा, लोन एवं अनुदान आदि का फायदा प्राप्त होता है। इन योजनाओं से जुड़कर किसान भाई अपने आर्थिक हालातों को अच्छा कर सकते हैं। परंतु, कृषि योजनाओं के विषय में जानकारी इकट्ठी करना एवं आवेदन करना किसान भाइयों के लिए काफी चुनौतीपूर्ण हो जाता है। बहुत बार किसानों को कृषि विभाग से लेके ग्राम पंचायत कार्यालय के चक्कर तक काटने पड़ते हैं। इन सभी स्थितियों से किसानों को छुटकारा दिलाने के लिए फिलहाल राज्य सरकारें मोबाइल एप्लीकेशन जारी कर रही हैं। इसी कड़ी में राजस्थान सरकार की तरफ से भी राज किसान एप्लीकेशन जारी किया गया है।

केवल एक क्लिक से मिलेगी सभी योजनाओं की जानकारी

राजस्थान सरकार की तरफ से प्रदेश के किसानों के लिए राज किसान एप्लीकेशन जारी किया गया है। इसके अंतर्गत कृषि विभाग से लेकर बागवानी एवं पशुपालन विभाग की नई-पुरानी समस्त योजनाओं की जानकारी चढ़ा दी जाती है। किसानों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए राज किसान एप पर स्व-पंजीकरण का विकल्प दिया गया है। मललब कि फिलहाल किसान भाई अपना पंजीकरण करके सीधे कृषि योजनाओं हेतु आवेदन कर सकते हैं।

क्षतिग्रस्त फसल की शिकायत भी यहीं दर्ज होगी

राज किसान साथी पोर्टल को पूर्णतया किसानों के हिसाब से बनाया गया है। इसमें फसल बीमा क्लेम से लेकर ब्याज की जानकारी, ऑनलाइन अदायगी के साथ फसल क्षति की शिकायत भी दर्ज करवाई जा सकती हैं। यह भी पढ़ें: जानें भारत विश्व में फसल बीमा क्लेम दर के मामले में कौन-से स्थान पर है इन समस्त कार्यों हेतु कृषि विभाग द्वारा राज किसान एप पर फसल बीमा का कॉलम भी बनाया गया है। एक ही प्लेटफॉर्म पर यह समस्त सुविधाएं प्राप्त होने से ना केवल किसान का वक्त बचेगा, साथ ही, पैसे की भी बचत होगी।

कृषि से संबंधित सेवाओं की जानकारी प्रदान की गई हैं

राजस्थान के किसान केवल खेती-किसानी तक ही सीमित नहीं रहे हैं। साथ ही, दूसरी गतिविधियों से भी जुड़कर अच्छी आय कर रहे हैं। इसके लिए राज किसान साथी एप पर एग्री मशीनरी की बुकिंग, कीट-रोग प्रबंधन की जानकारी, उन्नत कृषि तकनीक, मिट्टी और पानी की जांच के लिए नजदीकी लैब, एग्रीकल्चर एंड प्रोसेसिंग, कृषि कार्यों की वीडिया, खाद्य उत्पादक और निर्यातकों की लिस्ट-मोबाइल नंबर, मशीनों की खरीद या किराए पर उठाने के लिए कस्टम हायरिंग सेंटर्स की जानकारी, खाद उर्वरक व कीटनाशक विक्रेताओं की सूची एवं इसके उपयोग करने के तरीके की भी एप पर जानकारी दी गई है।